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Mohit-Trendster

ऐसे निष्कर्षों पर ना कूदें... - मोहित शर्मा (ज़हन)

Apr 29th, 2015
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  1. ऐसे निष्कर्षों पर ना कूदें....
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  3. बहुत से प्रयोग करने के बाद एक रचनाकार, फिल्मकार उस स्तर पर पहुँचता है जहाँ रचना गढ़ते (बनाते) समय उसके लिए उस रचना में प्रयुक्त जगहों, बातों, किरदारों का वर्गीकरण मायने नहीं रखता। उदाहरण स्वरुप अनुराग कश्यप को कुछ जगह नारी विरोधी बताया जाता है क्योकि उनकी फिल्मो में नेगेटिव किरदारों में महिलायें आती रहती है। पर यह नोट करने वाले समीक्षक, आलोचक और प्रशंषक भूल जाते कि उन्होंने अब तक उन किरदारों से कई गुना अधिक वैसे नकारात्मक गुणों वाले रोल्स में पुरुषों को कास्ट किया है। इतना सब काम करने के बाद वो किसी वर्ग के दोस्त अथवा दुश्मन नहीं होते बल्कि अपनी कहानी अनुसार किरदारों के दोस्त या दुश्मन बन जाते है। यथार्थवादी और प्रतिभावान व्यक्तियों के प्रयासों पर इतनी जल्दी ऐसे निष्कर्षों पर आना ना सिर्फ उनकी मेहनत का उपहास उड़ाना होगा बल्कि उन्हें बेवजह बदनाम करना भी होगा। अगर आपको एक ढर्रे पर चलने की आदत है और कोई उसपर नहीं चल रहा इसका मतलब यह नहीं की उसमे कोई कमी है।
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  5. - Mohit Trendster #trendy_baba #freelance_talents
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