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- घरेलू अतिक्रमण - जब पौधों ने दी इंसान को गाली
- यूआरएल - https://mohitness.blogspot.com/2021/02/when-plants-abused-humans-story.html
- कई सालों तक जीतोड़ मेहनत करने के बाद, विशाल का घर बनाने का सपना आखिरकार साकार हो रहा था। ठेकेदार मुख्य जगह के अलावा घर में बगीचा बनाने की बातें कर रहा था।
- विशाल - "अरे वह कहाँ हो पाएगा, घर में बड़ी कार के अलावा, 2 बाइक, साइकल सब हैं, कैसे पार्क करेंगे?"
- ठेकेदार - "अरे आप तो परदेसी जैसी बात कर रहे हो, जैसे यहाँ रहे न हों। हर कोई बाहर ही लगाता है यहाँ गाड़ियां, एक आपकी खड़ी जाएगी तो कौन पूछ रहा है?"
- विशाल, ठेकेदार का इशारा समझता था। वह अब तक की नौकरी में 3 प्रदेशों के 7-8 शहरों में रह चुका था और कई छोटे शहरों में घूम चुका था। कई जगह लोग अपने घर से बाहर कार, बाइक खड़ी करते थे। आस-पास के लोग, फेरी वाले आदि सब उन वाहनों के हिसाब से रहने की, निकलने की आदत डाल चुके थे। विशाल को यह अजीब लगता और रोज़ असुविधा भी होती पर कुछ सेकंड या एक-दो मिनट की असुविधा की वजह से वह भी कभी किसी से न उलझा। कुछ लोग तो अपने घर के अधिकृत क्षेत्र से बाहर दीवार या लोहे की बॉउंड्री बनवाकर अपनी गाड़ियां या सामान लगाते। ज़्यादातर जगहों पर किरायेदार के तौर पर ऐसा करना उसे ठीक भी नहीं लगा।
- हालांकि, विशाल ने यह ज़रूर ठाना था कि जब उसका घर बनेगा, तब वह घर के अंदर ही कार वगैरह के लिए जगह रखेगा। आखिर, कई विकसित देश, जैसा भारत के लोग भारत को बने देखना चाहते हैं, उनके नागरिक भी तो ऐसी सोच रखते हैं। वही कि सिर्फ अपना भला न देखकर दूसरों के बारे में भी सोचना। विशाल खुद के छोटे स्तर पर ही सही यह बदलाव लाना चाहता था।
- विशाल - छोटी सी जगह में कुछ पौधे लगा लेंगे, गार्डन रहने देते हैं। आप कार, बाइक की जगह अंदर ही बनाओ।
- ठेकेदार - "आपका घर, आपकी मर्ज़ी। बाकी अभी काम बाकी है, आपका मन बदले तो बता देना।"
- घर के हर कोने की तरह यह फैसला भी विशाल की पसंद के हिसाब से हुआ। घर तैयार हुआ और विशाल परिवार के साथ उसमें आ गया। कुछ दिनों बाद विशाल अपने घर के अंदर लगे गिने-चुने पौधों को पानी दे रहा था कि उसे बाहर से किसी ने आवाज़ लगाई। विशाल आवाज़ सुनकर गेट की तरफ गया।
- विशाल - "जी?"
- "मैं लोमेश कुमार, आपके सामने रहता हूं, यहीं मिल के पास मेरा इलेक्ट्रॉनिक सामान का शोरूम है।"
- विशाल - "अरे आप, नमस्ते सर। बड़ा सुना है आपके बारे में।"
- लोमेश - "नमस्कार, बस आप जैसे लोगों की दुआ है। एक छोटी सी मदद चाहिए थी।"
- विशाल - "ज़रूर, बताएं।"
- लोमेश - "अब बच्चा बड़ा हो गया है, तो उसके लिए कार ली है। हमारे घर के बाहर तो मेरी कार और कंपनी का टेम्पो रहता है। मैंने देखा आपके घर के बाहर जगह खाली रहती है, आपका घर हमारे ठीक सामने भी है...तो मैं सोच रहा था कि बच्चे की गाड़ी यहीं आपके घर के बाहर पार्क करवा दिया करें।
- यह बात सुनकर, पौधे विशाल को गाली देने लगे।
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- #ज़हन
- Image Credit - Lucas K.
- Posted by मोहित शर्मा ज़हन at 10:50 AM
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- Labels: Hindi, India, Message, Mohit (Trendster), Mohitness, Society, Story, मोहित शर्मा ज़हन
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