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- URL - https://mohitness.blogspot.com/2021/01/hindi-poem-on-indian-farmers.html?spref=tw
- Wednesday, January 27, 2021
- दिल्ली बड़ी दूर है, किसान भाई! #ज़हन
- वह भागने की कोशिश करे कबसे,
- कभी ज़माने से तो कभी खुद से...
- कोई उसे अकेला नहीं छोड़ता,
- रोज़ वह मन को गिरवी रख...अपना तन तोड़ता।
- उसे अपने हक़ पर बड़ा शक,
- जिसे कुचलने को रचते 'बड़े' लोग कई नाटक!
- दुनिया की धूल में उसका तन थका,
- वह रोना कबका भूल चुका।
- सीमा से बाहर वाली दुनिया से अनजान,
- कब पक कर तैयार होगा रे तेरा धान?
- उम्मीदों के सहारे सच्चाई से मत हट,
- देखो तो...इंसानी शरीर का रोबोट भी करने लगा खट-पट!
- अब तुझे भीड़ मिली या तू भीड़ को मिल गया,
- देख तेरा एक चेहरा कितने चेहरों पर सिल गया।
- यह आएगा...वह जाएगा,
- तेरे खून से समाज सींचा गया है...आगे क्या बदल जाएगा?
- तेरे ज़मीन के टुकड़े ने टेलीग्राम भेजा है,
- इस साल अच्छी फसल का अंदेशा है।
- देख जलते शहर में लगे पोस्टर कई,
- खुश हो जा...इनमें तेरी पहचान कहीं घुल गई।
- =========
- Posted by मोहित शर्मा ज़हन at 2:23 AM
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- Labels: India, Life, Message, Mohit (Trendster), Mohitness, Poem, Poet, Social, song
- Location: Meerut, Uttar Pradesh, India
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