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Aug 16th, 2021
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  1. शिवताण्डवस्तोत्रं महान् विद्वान् परमशिवभक्तः लङ्काधिपतिः रावणः विरचितवान्। एतत् शिवस्तोत्रम् अस्ति।
  2. शिवतांडवस्तोत्रम्
  3. शिवतांडवस्तोत्रम्
  4. स्तोत्र
  5.  
  6. ॥ सार्थशिवताण्डवस्तोत्रम् ॥
  7.  
  8. जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्यलम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ॥
  9.  
  10. डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥१॥
  11.  
  12. जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी- विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्द्धनि ॥
  13.  
  14. धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥२॥
  15.  
  16. धराधरेन्द्रनन्दिनीविलासबन्धुबन्धुर- स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ॥
  17.  
  18. कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्दिगम्बरे मनोविनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
  19.  
  20. जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ॥
  21.  
  22. मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीय मे दुरे मनोविनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥
  23.  
  24. सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर- प्रसूनधूलिधोरणीविधूसराङ्घ्रिपीठभूः ॥
  25.  
  26. भुजङ्गराजमालयानिबद्धजाटजूटक: श्रियै चिराय जायतां चकोर बन्धुशेखरः ॥५॥
  27.  
  28. ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा निपीत पञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ॥
  29.  
  30. सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसम्पदे शिरोजटालमस्तुनः ॥६॥
  31.  
  32.  
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